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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2646
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।

उत्तर -

वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्ध
(Relation between Wallesly and French)

वेलेजली 1797 में भारत आया जो कि अंग्रेजी इतिहास का सबसे अंधकारमय समय था। फ्रांस के विरुद्ध यूरोपिय शक्तियों का बना हुआ मोर्चा छिन्न-भिन्न हो चुका था। नेपोलियन मिस्र तथा सीरिया पर विजय प्राप्त कर चुका था और भारत पर आक्रमण करने की सघन तैयारी बना रहा था। 1798 में उसे आशा थी कि वह 10,000,000 सेना भारत पर आक्रमण करने के लिए फरात नदी पर एकत्रित कर देगा। वह सिकन्दर की ही तरह एलेक्जैन्ड्रिया से भारत पर आक्रमण करने के बारे में सोच रहा था। 1801 में भी नेपोलियन ने रूस के जार पॉल से सन्धि करके भारत पर आक्रमण करने की योजना बनाई जिसके अनुसार जनरल मस्सेना 35,000 फ्रांसीसी सैनिक लेकर उल्म ड्रन्यूब तथा काला सागर के मार्ग से अस्तखान पहुंचेंगे। वहाँ 35,000 रूस सेना उससे मिल जायेगी तथा वेहरात फर्राह तथा कन्धार के मार्ग पर आक्रमण करेंगे। उस समय तक अंग्रेजों को स्थल पर नेपोलियन की अदम्य शक्ति का आभास मिल चुका था। यदि नेपोलियन की यह योजना सफल हो जाती तो अंग्रेजी व्यापार, जो इतना लाभप्रद था, समाप्त हो जाता।

सम्भवतः यह कहा जा सकता है कि नेपोलियन की यह योजना कल्पना मात्र थी। परन्तु समकालीन लोग ऐसा नहीं सोचते थे। कोर्ट आफ डाइरेक्टर्स की गुप्त समिति ने 18 जून, 1798 के पत्र में वेलेजली को लिखा था, "हमारे पूर्वी साम्राज्य से फ्रांसीसियों को बहुत ईर्ष्या है। उनकी पुरानी सरकार आशा अन्तरीय के स्थान पर किसी अन्य छोटे मार्ग से भारत पहुंचना चाहती थी और निःसन्देह आधुनिक सरकार भी ऐसा करने का भरसक प्रयत्न करेगी कि यदि वे हमारे साम्राज्य को नष्ट-भ्रष्ट न भी कर सके तो कम से कम उसे छोटा अवश्य कर दें। इसी प्रकार 1800 में जनरल स्टूअर्ट ने हेनरी डंडास को लिखा था कि यह योजना सफल हो सकती है और सम्भवतः सफल हो भी जाती यदि तुर्क लोग फ्रांस के मित्र बन जाते अथवा वे लोग काहिरा पहुंचते ही तुरन्त इस ओर बढ़ आते। यह भी सुझाव था कि फ्रांसीसी अपने उपनिवेश मॉरिशस का प्रयोग भारत के पश्चिमी तट पर आक्रमण करने के लिए करें क्योंकि अंग्रेज नौसेना सभी बन्दरगाहों की सुरक्षा नहीं कर सकती थी। इसके अतिरिक्त फ्रांसीसी नौसेना संभवतः निश्चित प्रयत्न द्वारा, जैसा उन्होंने अमरीकन युद्ध में किया था, सामयिक रूप में सैनिक विशिष्टता भी प्राप्त कर सके।

वेलेजली कोई भी संकट मोल नहीं लेना चाहता था। उसे इस बात का ज्ञान था मैसूर का टीपू सुल्तान नेपोलियन से पत्राचार के माध्यम से संपर्क कर रहा था व अंग्रेजों को भारत से निकालने की योजना बना रहा था। जिस दिन वैल्जली भारत आया उस दिन टीपू के दूत मॉरिशस से एक फ्रांसीसी पोत तथा कुछ सैनिकों को लेकर तथा फ्रांसीसी सहायता के वचन के साथ वापस मंगलोर पहुंचे थे। टीपू ने अपने आपको 'नागरिक टीपू की संज्ञा दी तथा स्वतंत्रता की पताका श्रीरंगापट्टम में फहरा दी। इसके अतिरिक्त उसने फ्रांसीसियों से आक्रमण तथा रक्षात्मक संधि कर ली थी। वह कंपनी के विरुद्ध युद्ध की एक विस्तृत योजना बना रहा था। 1795 में खारड़ा के स्थान पर मराठों के हाथों निजाम की पराजय के पश्चात् अंग्रेज उसका साथ छोड़ गये थे तथा उसने फ्रांसीसियों से आक्रामक तथा रक्षात्मक संधि कर ली थी। वह कंपनी के विरुद्ध युद्ध की एक विस्तृत योजना बना रहा था। तथा उसने फ्रांसीसी कमाण्डर मस्यु रेमां को अपने यहाँ नियुक्त कर लिया था तथा निजाम ने उसकी सहायता से 14,000 सैनिक तैयार कर लिये थे। इसी प्रकार मराठा सरदार महराजी सिन्धिया ने भी काउण्ट डब्रेन तथा कालान्तर में मस्यु वैरों की सहायता से 8,000 पैदल तथा 8,000 घुड़सवारों की एक सेना तैयार कर ली तथा गंगा जमुना दोआब लेकर इस नई सेना के भरण-पोषण के लिए पृथक रख दिये थे। चूंकि सिन्धियां इन पदाधिकारियों पर अपना पूर्ण नियंत्रण नहीं कर सकता था अतएव यह समस्त सेना नेपोलियन के काम आ सकती थी। दिल्ली आगरा तो इनके अधीन था ही अतएव ये लोग बंगाल तथा बिहार के विरुद्ध भी अभियान कर सकते थे। वैल्जली ने मस्यु पैरों के 'स्वतंत्र राज्य' का उल्लेख किया है। वह भारत के बीचों बीच फ्रांसीसी उपनिवेश को सन नहीं कर सकता था। उसे रणजीत सिंह का फ्रांसीसी कमाण्डरों का प्रयोग करना भी अखरता था। दूसरी ओर काबुल का जमान शाह भी भारत पर आक्रमण भी योजना बना रखा था।

अतएव वेलेजली ने फ्रांसीसी भय को दूर करने के लिए निम्नलिखित प्रयत्न किये -

(1) वेलेजली ने यह भी अनुभव किया कि भारत को नेपोलियन के प्रभाव से बचाने का सबसे उत्तम उपाय यह था कि वह स्वयं भारतीय राजाओं के विवादों में मध्यस्थ बने। इसी आशय से जार्ज वालों ने 1803 में नीति सम्बन्धी पत्र में लिखा था कि 'इनको हराने का एकमात्र उपाय यह है कि भारत में कोई राज्य ऐसा न रहे जो हम पर निर्भर न हो अथवा जिसका राजनैतिक आचरण हमारे अधीन न हो। अर्थात् फ्रांस के सभी वास्तविक तथा संभावित मित्रों का दमन करने की योजना थी तथा इसके लिए उसने भारतीय राज्यों को सहायक सन्धि स्वीकार करने पर बाध्य किया। जिससे वे निरस्त हो गये तथा उन्होंने फ्रांसीसियों को अपने राज्य से निकाल दिया। इससे अंग्रेज बिना धन व्यय किये बहुत सी सेना रखने में सफल हो गये। सितंबर 1798 में वेलेजली ने निजाम को युद्ध अथवा सहायक सन्धि में से एक स्वीकार करने को कहा। निर्बल निजाम ने सहायक सन्धि स्वीकार कर ली। उसे फ्रांसीसी सैनिकों तथा अफसरों को युद्ध बन्दी बनाकर कलकत्ते भेजना पड़ा। कालान्तर में वे यूरोप भेज दिये गये। निजाम के लिए अंग्रेजी अफसरों के अधीन 'बटालियनों की एक सेना हैदराबाद में रखी गई, जिसका समस्त व्यय उसे देना था। इस प्रकार हैदराबाद में फ्रांसीसी प्रभाव समाप्त हो गया। उसके पश्चात् उसने टीपू की ओर ध्यान दिया जो उस समय फ्रांसीसियों से मिलकर भारत से अंग्रेजों को निकालने की योजना बना रहा था। वेलेजली ने अनुभव किया कि लाल सागर की ओर से फ्रांसीसी आक्रमण 1799 के मध्य से पूर्व संभव नहीं अतएव उसने उससे पूर्व ही टीपू से निपटने की सोची। टीपू के सहायक सन्धि अस्वीकार करने पर फरवरी 1799 में उसने उससे पूर्व ही टीपू से निबटने की सोची। टीपू के सहायक संधि अस्वीकार करने पर फरवरी 1799 में टीपू से युद्ध आरम्भ हो गया तथा मई 1799 तक यह युद्ध समाप्त हो गया। मैसूर की सीमाएं कम कर दी गई तथा सत्ता मैसूर के प्राचीन हिन्दू राजवंश को दे दी गई। एक शत्रु समाप्त हो गया तथा दक्षिणी प्रायद्वीप पर अंग्रेजी प्रभुत्व स्थापित हो गया। हाउस ऑफ कामन्स में वेल्जली के इस कार्य की बहुत सराहना हुई।

वेलेजली ने फिर उत्तर की ओर ध्यान दिया। अवध की अवस्था बहुत बिगड़ गई थी। फ्रांसीसी आक्रमण के भय को दूर करने के लिए अवध को सहायक सन्धि स्वीकार करने पर बाध्य किया गया तथा उसे रुहेलखंड तथा दोआब के उत्तरी जिले में सहायक सेना के व्यय के लिए देने पड़े। फिर मराठों की ओर ध्यान दिया गया। ये लोग अभी तक पूर्णतया स्वतंत्र थे। सिन्धियां की सेना के फ्रांसीसी अधिकारी अंग्रेजों के लिए भय का कारण बन सकते थे। टीपू की पराजय तथा मृत्यु से पेशवा अति दुःखी था। वेलेजली द्वारा सहायक सन्धि का प्रस्ताव पेशवा ने अस्वीकार कर दिया। परन्तु मराठों के आपसी झगड़ों के कारण पेशवा कंपनी के जाल में फंस गया तथा दिसंबर 1802 में उसने सहायक सन्धि पर हस्ताक्षर कर दिये। पूना सहायक सेना तैनात कर दी गई। सिन्धिया तथा भोंसले ने इसे अत्यन्त अपमानजनक माना तथा अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध आरम्भ कर दिया जिसमें वे दोनों पराजित हो गये। दोनों को सहायक सन्धि स्वीकार करनी पड़ी तथा अपना महत्वपूर्ण प्रदेश अंग्रेजों को देना पड़ा। इस प्रकार इस समस्त प्रदेश से फ्रांसीसी समाप्त हो गये।

(2) इसके पश्चात् वेलेजली ने समस्त भारत की रक्षा की योजना बनायी। गोआ की फ्रांसीसियों के हाथों से रक्षा करने के उद्देश्य से उसने पुर्तगालियों की अनुमति से गोआ में अंग्रेजी सेना तैनात कर दी। 1801 में इंग्लैंड तथा डेनमार्क विपरीत धड़ों में थे अतएव वेलेजली ने बंगाल में डेनमार्क के अड्डों - ट्रांकूवार तथा सीरमपुर को जीत लिया। कलकत्ते के समीप होने के कारण सीरमपुर वैल्जली को बहुत चुभता था। यह जैकोबिन लोगों, कानून की पकड़ में न आने वाले भगोड़ों तथा ऋषियों के लिए उचित आश्रय था।

(3) वैल्जली ने फ्रांसीसी नाविक अड्डे मॉरिशस पर आक्रमण की योजना बनाई परन्तु एडमिरल रेनियर ने लंदन से स्पष्ट आज्ञा के बिना ऐसा करने से मनाही कर दी। इसी बीच उसने डच प्रदेश बटाविया तथा केप कॉलोनी पर भी आक्रमण की अनुमति मांगी क्योंकि डच उन दिनों फ्रांस के मित्र थे।

(4) 1800 में ही वेलेजली ने एक भारतीय सैनिक टुकड़ी को मिश्र में नेपोलियन के विरुद्ध लड़ने के लिए भेजा। परन्तु पहुंचने पर पता लगा कि फ्रांसीसी इससे पूर्व ही हथियार डाल चुके थे। 1802 में यह सेना वापिस आ गई।

(5) 1802 में हुई एमीन्ज की सन्धि से पाण्डचेरी नगर पुनः फ्रांसीसियों को मिल गया। इस अवसर का उपयोग नेपोलियन सिंधिया के फ्रांसीसी अधिकारियों द्वारा मुगल सम्राट से सन्धिवार्ता के लिए भी किया। इसी बीच नेपोलियन से पुनः युद्ध छिड़ गया तथा वैल्जली नेलार्ड लेक को भेज कर दिल्ली तथा आगरे पर अधिकार कर लिया तथा शाह आलम को पर्याप्त पेन्शन दे दी।

(6) वेलेजली की योजना यह थी कि तटीय प्रदेश, गुजरात, मालावार तथा कटक को घेरकर भारतीय राज्यों को फ्रांसीसी सहायता न पहुंचने दे। इसी कारण टीपू से सन्धि में एक शर्त मालावार का आत्मसमर्पण था। इसी प्रकार मराठा युद्ध के समय उसने भड़ौच के बन्दरगाह तथा चम्पानेर तथा पवनगाढ़ दुर्गों को विजय कर लिया था। भड़ौंच के सामरिक महत्व को वैल्जली भली-भांति समझता था। इसी प्रकार कटक को जीत कर उसने बंगाल तथा मद्रास के प्रदेशों को मिला दिया तथा नागपुर के राजा और फ्रांसीसियों के बीच खाई उत्पन्न कर दी।

(7) 1799 में उसने महदी अली खां नामक दूत ईरान के शाह के दरबार में भेजा। नवंबर 1800 मैं एक अन्य दूत जॉन मैल्कम बहुत से बहुमूल्य उपहार लेकर तेहरान पहुंचा। इनके फलस्वरूप शाह से एक सन्धि हुई जिसमें शाह ने फ्रांसीसियों को अपने देश में आने की अनुमति न देने का वचन दिया।

(8) उसने बंगाल में रहने वाले अंग्रेजों से युद्धकोष के लिए धन मांगा और 1,20,785 से अधिक धन केवल बंगाल से ही एकत्रित करके इंग्लैंड भेजा गया। अनेक अंग्रेजों ने नेपोलियन के विरुद्ध युद्ध में भाग लेने का भी प्रस्ताव किया।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
  5. प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  7. प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
  9. प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
  10. प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
  12. प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
  13. प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
  17. प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
  20. प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
  22. प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
  23. प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
  24. प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  25. प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
  28. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  29. प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
  32. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  33. प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  35. प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
  39. प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
  41. प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
  43. प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
  44. प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
  45. प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  46. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  47. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
  50. प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
  54. प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
  55. प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
  56. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
  57. प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
  61. प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  62. प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
  63. प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  66. प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
  67. प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
  69. प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
  70. प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
  73. प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
  75. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  76. प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
  83. प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
  85. प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
  88. प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
  90. प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
  94. प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
  95. प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  100. प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
  101. प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
  102. प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
  104. प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
  105. प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  106. प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
  108. प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
  109. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
  110. प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
  111. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
  112. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
  114. प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
  115. प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
  118. प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
  119. प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
  120. प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  121. प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  123. प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  124. प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  125. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
  126. प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
  127. प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
  128. प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  131. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  133. प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
  134. प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  137. प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
  138. प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
  141. प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
  142. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  143. प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
  144. प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
  146. प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
  147. प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?

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